हिंदू धर्म में कार्तिक माह का विशेष महत्‍व है। इस माह आने वाली पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्‍नान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखना विशेष फलदायी माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दीपावली के रूप में मनाया जाता है।

कार्तिक मास की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा, त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान ब्रह्मा का ब्रह्म सरोवर पुष्कर में अवतरण हुआ था।
इस दिन

  • भगवान शिव ने प्रदोष काल में अर्धनारीश्वर रूप में त्रिपुरासुर का वध किया और भगवान विष्णु ने भगवान शिव को त्रिपुरारी नाम दिया।
  • देवताओं ने शिवलोक काशी में आकर दीपावली मनाई।
  • काशी में दीप दान करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है।
  • भगवान विष्णु ने धर्म, वेदों की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार धारण किया।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अराधना करें। इस दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन अपनी सामर्थय के अनुसार दान अवश्य करें। माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन किए गए दान का फल दोगुना हो जाता है।

इस दिन गंगा सहित पवित्र नदियों में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है, पापों का नाश होता है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्री सत्यनारायण कथा का श्रवण, गीता पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से प्राणी पापमुक्त होकर श्री हरि भगवान विष्णु की कृपा का पात्र बन जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक देव का जन्म हुआ। इस पूर्णिमा को गुरु पर्व भी कहा जाता है। इस दिवस को प्रकाशोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा की पूजा विधि:-

  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्‍नान करें. मान्‍यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्‍नान करने से पुण्‍य की प्राप्‍ति होती है. अगर पवित्र नदी में स्‍नान करना संभव नहीं तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्‍नान करें.
  • रात्रि के समय विधि-विधान से भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी की पूजा करें.
  • सत्‍यनारायण की कथा पढ़ें, सुनें और सुनाएं.
  • भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी की आरती उतारने के बाद चंद्रमा को अर्घ्‍य दें.
  • घर के अंदर और बाहर दीपक जलाएं.
  • घर के सभी सदस्‍यों में प्रसाद वितरण करें. प्रसाद में सिंघारा ,तुलसीयुक्त पंजीरी दें !
  • इस दिन दान करना अत्‍यंत शुभ माना जाता है. किसी ब्राह्मण या निर्धन व्‍यक्ति को भोजन कराएं और यथाशक्ति दान और भेंट देकर विदा करें.
  • कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर पीपल वृक्ष के नीचे और घर के मंदिर अथवा पास के मंदिर में दीपदान करना भी बेहद शुभ माना जाता है.

 2,236 total views,  2 views today