(धर्म-कर्म, पांचवी कहानी) गाड़ी सरपट दौड़े जा रही थी, पता नहीं कब आंख लग गई और हम सब गहरी नींद… Read More
रेलगाड़ी ने अब पूर्णतः गति पकड़ ली थी, बस नींद ही नहीं आ रही थी । आत्महत्या, उसके कारण व… Read More
आत्महत्या - भाग - 2 अब रेलगाड़ी खिसकी तो हम अपनी-अपनी सीट पर जाने लगे। वो बोला "नींद ना रही… Read More
"आत्महत्या" - भाग -1 रेलगाड़ी रफ्तार पकड़ चुकी थी, रात भी चरम पर थी । अलसाई आँखों में नींद आने… Read More
रेल पटरी पर जिन्दगी की तरह सरपट दौड़ रही थी और हम अपनी-अपनी सीट पर लेट रहे थे। अंधेरा घिर… Read More
धर्म-कर्म - भाग- 2 हम दोनों साइड-लोअर सीट पर बैठे बात कर रहे थे । अब गाड़ी स्टेशन पर रूकने… Read More
धर्म-कर्म ट्रेन में सफर करते वक्त पास बैठे यात्री ने पूछा- "तुम्हारा धर्म क्या है ?"मैंने पूछा-"कब ?"उसने कहा -… Read More
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