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सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु !
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08
Oct
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सृजन
by
bookpanditgonline
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हमारे पड़ौस में राजवंशी साहब रहते हैं । बेटे की सगाई हुई तो एक मंजिला मकान को दो मंजिला करने का निश्चय किया। नई बहु...
10
Sep
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विषमता भरी शिक्षा (शिक्षा-नीति के प्रारूप का मंथन)
by
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शिक्षक-दिवस पर लिखा सालों पुराना लेख व आज भी उसकी प्रासंगिकता । “विषमता भरी शिक्षा” आइये आपके समक्ष 32 वर्ष पूर्व के एक विद्यार्थी के...
06
Jun
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सत्ता की प्रकृति ही मद है
by
bookpanditgonline
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देवराज इन्द्र सत्ता के नशे में था ,त्रिशिर नाम के एक मेधावी को मार डाला ।देवगण के बीच आक्रोश बढ़ गया और इन्द्रदेवों के क्रोध...
03
Jun
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धर्म | Dharma
by
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धर्म धर्म का सवाल मूल रूप से व्यष्टि और समष्टि के सम्बन्ध का प्रश्न है ! व्यष्टि और समष्टि के बीच द्वन्द्व चलता ही रहता...
19
May
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सनातनधर्म ! | Sanatana-Dharma !
by
bookpanditgonline
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धर्म क्या है ?इस सवाल को लेकर बहुत ऊहापोह चलता रहता है।अनेक प्रकार के विवाद भी होते हैं।लेकिन भारत के ऋषि-मनीषियों के मन में धर्म...
02
May
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टोटम: गणगोत्र
by
bookpanditgonline
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एक युग था, तब वर्ण नहीं था, जाति नहीं थी, कबीले थे। किसी का गणगोत्र [ totem ] नाग था, कोई सुपर्ण था, कोई जटायु...
18
Apr
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ईश्वर की परिभाषा
by
bookpanditgonline
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ईश्वर की परिभाषा आप उसे कल्पना कहते हैं, तब उसका अर्थ कुछ और हो जाता है । लोकजीवन में विद्यमान है, उसे तो कल्पना नहीं...
16
Apr
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मैं प्रकृति हूँ
by
bookpanditgonline
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मैं प्रकृति हूँ देवताओं ने देवी के समीप जाकर नम्रता से पूछा- “हे महादेवी ! आप कौन हैं ?”देवी ने कहा-“अहं ब्रह्मस्वरूपिणी ! मत्तः प्रकृतिपुरुषात्मकं...